आमतौर पर लोगों की बढ़ती उम्र और ज्यादातर खाने में पोषक तत्वों की कमी और कई कारणों से आजकल कम उम्र के लोगों को ज्यादातर घुटनों की समस्या हो रही है। आमतौर पर जब कोई व्यक्ति गंभीर गठिया, चोट, या फिर अन्य अपक्षयी स्थितियों से पीड़ित होता है, जिसके परिणामस्वरूप घुटने में पुराना दर्द और इसके साथ ही सीमित गतिशीलता होती है, तो कई बार इस तरह की समस्या को दूर करने के लिए डॉक्टर अक्सर घुटने के प्रतिस्थापन की सर्जरी की सलाह देते हैं। दरअसल घुटने की सर्जरी, चाहे वह आर्थ्रोस्कोपी हो, लिगामेंट रिपेयर हो या फिर टोटल नी रिप्लेसमेंट हो आमतौर पर वह शरीर के लिए एक बड़ा ऑपरेशन होता है।
आपको बता दें कि इस प्रकार की सर्जरी के बाद अपने शरीर को आम स्थिति में लाने के लिए दरअसल कई प्रकार की दवाएं, पर्याप्त आराम और इसके साथ ही सही खानपान की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। आमतौर पर इस दौरान फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। बता दें कि अगर घुटनों की सर्जरी के बाद एक फिजियोथेरेपिस्ट से न मिला जाये, तो यह आमतौर पर लंबे समय तक चलने, बैठने और सामान्य गतिविधियों को करने में परेशानी की वजह बन सकती है। तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में इसके विशेषज्ञ से जानकारी प्राप्त करते हैं
घुटनों की सर्जरी के बाद होने वाली परेशानियां
आमतौर पर इस पर डॉक्टर का कहना है, की दरसला घुटनों की सर्जरी के बाद एक मरीज को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं, आमतौर पर जिनमें शामिल है,
1. इस दौरान सामान्य रूप से चलने-फिरने में दिक्कत हो सकती है।
2. सर्जरी के बाद घुटने के आसपास तरल जमा होने के कारण सूजन की परेशानी हो सकती है।
3. घुटनों में इस दौरान जकड़न जैसी स्थिति जैसे कि घुटने की मूवमेंट सीमित हो जाती है और इस को सीधा मोड़ने में परेशानी होती है।
4. लंबे समय तक बेड रेस्ट और मूवमेंट में कमी की वजह से मांसपेशियों में कमजोर आ जाती हैं।
5. इस दौरान शरीर के रिकवरी प्रोसेस की वजह से मरीज को जल्दी थकान महसूस होती है।
6. घुटनों की सर्जरी के बाद टांकों के पास बैक्टीरिया लगने की वजह से संक्रमण जैसी समस्या हो सकती है।
7. दरअसल सर्जरी के बाद घाव भरने की प्रक्रिया के दौरान टांकों में जलन या फिर खुजली जैसी समस्या हो सकती है।
8. सर्जरी के बाद मरीज के घुटने की गति सीमित हो जाती है।
9. इस दौरान टांकों और हड्डियों के ठीक होने की प्रक्रिया की वजह से लंबे समय तक दर्द बना रह सकता है।
10. दर्द और असहजता की वजह से नींद में काफी ज्यादा दिक्कत होती है।
आखिर घुटने की सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना क्यों जरूरी होता है?
बता दें कि इस पर हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है, कि फिजियोथेरेपी केवल एक एक्सरसाइज का नाम नहीं है, बल्कि यह एक मेडिकल प्रक्रिया है। दरअसल फिजियोथेरेपी के द्वारा एक व्यक्ति के शरीर की मूवमेंट, मांसपेशियों की ताकत और संतुलन को बैलेंस करने में काफी ज्यादा मदद मिलती है। आमतौर पर जब घुटनों की सर्जरी के बाद मरीज सही ढंग से उठ और बैठ नहीं पाते हैं और इसके साथ ही वह सही तरीके से सो नहीं पाते हैं, तो तब फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।
1. घुटने की गति को बढ़ाना
दरअसल घुटनों की सर्जरी के बाद अगर उसको सही तरीके से मोड़ा और सीधा न किया जाए, तो इसकी वजह से मरीज को स्थायी रूप से जकड़न की समस्या बनी रहती है। आमतौर पर इस तरह की स्थिति में फिजियोथेरेपिस्ट दरअसल धीरे-धीरे सही तरीके से घुटनों को आम गति देने का काम करते हैं। बता दें कि घुटनों की सर्जरी के बाद, फिजियोथेरेपिस्ट मरीज के घुटनों को प्राकृतिक रूप से काम करने की क्षमता प्रदान करते हैं। जिसकी वजह से मरीज के घुटनों में दर्द, कमजोरी और जकड़न की समस्या दूर हो जाती है।
2. दर्द और सूजन को कम करना
सर्जरी के बाद दरअसल व्यक्ति के घुटनों में दर्द और सूजन एक आम समस्या होती है। आमतौर पर इस दौरान फिजियोथेरेपिस्ट ठंडी पट्टियों, इलेक्ट्रोथेरेपी, और एक्सरसाइज के माध्यम से व्यक्ति के घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। आपको बता दें कि अगर व्यक्ति घुटनों की सर्जरी के एक सप्ताह के भीतर-भीतर फिजियोथेरेपिस्ट से मिल लेता है, तो उस की मदद से दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।
3. मांसपेशियों को बनाए मजबूत
आपको बता दें कि व्यक्ति के घुटनों की सर्जरी के बाद लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने की वजह से जांघ और पिंडली की मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। आमतौर पर फिजियोथेरेपिस्ट इस तरह की स्थिति से एक मरीज को उबारने में भी मदद करते हैं। वास्तव में फिजियोथेरेपिस्ट ऐसी कई कसरतों को करने की सलाह देते हैं, जो घुटनों को स्थिर और संतुलित बनाते हैं। आम तौर पर जिसकी वजह से मांसपेशियों की रिकवरी बहुत तेजी से होती है।
4. चलने में संतुलन
घुटनों की सर्जरी के बाद दरअसल एक मरीज को चलने के लिए वॉकर और स्टिक की बहुत जरूरत होती है। आमतौर पर इस तरह की स्थिति में फिजियोथेरेपिस्ट आपको इन उपकरणों का इस्तेमाल बिलकुल सही तरीके से करना सिखाते हैं और इसके साथ ही फिर वह धीरे-धीरे बिना सहारे के आपको चलना सिखाते हैं। इसलिए घुटनों की सर्जरी के बाद अपने फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।
5.मरीजों की स्थिति के अनुसार योजना बनाएँ
दरअसल हर व्यक्ति की उम्र, वजन, जीवनशैली और घुटनों की सर्जरी का प्रकार अलग-अलग होता है। आपको बता दें कि कई बार जो कसरत डॉक्टर द्वारा घुटनों की सर्जरी के बाद बुजुर्गों को बताई जाती है, दरअसल वो युवाओं पर लागू नहीं होती है। इस तरह की स्थिति में फिजियोथेरेपिस्ट आमतौर पर मरीज की शारीरिक स्थिति को समझ कर ही एक्सरसाइज को बताते हैं, जिसकी मदद से मरीज के घुटनों को एक सामान्य प्रक्रिया में लाने में काफी ज्यादा आसानी होती है।
घुटनों की सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपिस्ट से मिलने के फायदे
दरअसल डॉक्टर का कहना है, कि घुटनों की सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपिस्ट से मिलने की वजह से मरीज की सेहत को कई प्रकार से फायदे मिलते हैं। हालांकि घुटनों की सर्जरी के बाद दर्द को कम करने और शरीर के सही प्रकार से काम करने में मदद करने में फिजियोथेरेपिस्ट आपकी काफी ज्यादा मदद कर सकते हैं।
1. मरीज अपने घुटनों की सर्जरी के बाद केवल शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक तौर से भी कमजोर हो जाता है। इस तरह की स्थिति में फिजियोथेरेपिस्ट मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी ज्यादा मदद कर सकता है।
2. आमतौर पर घुटनों की सर्जरी के बाद अक्सर लोगों में मूड स्विंग और चिड़चिड़ेपन जैसी समस्या को देखा जा सकता है। दरअसल इस तरह की स्थिति में फिजियोथेरेपी के दौरान की जाने वाली कसरत आपको राहत दिला सकती है।
3. आपको बता दें कि सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपिस्ट न केवल कसरत को करवाते हैं, बल्कि उस दौरान एक मरीज का मनोबल भी बढ़ाते हैं। ताकि वह इस की मदद से दोबारा से एक सामान्य जीवन जी सके।
निष्कर्ष : ज्यादातर लोगों के खाने में पोषक तत्वों की कमी और साथ ही कई कारणों से आजकल कम उम्र के लोगों को भी घुटनों की समस्या हो रही है। आजकल घुटनों की गंभीर समस्याओं के चलते डॉक्टर मरीज को सर्जरी की सलाह देते हैं। सर्जरी होने के बाद मरीज का सिर्फ दवाओं पर निर्भर रहना सही नहीं होता है और अगर सर्जरी के बाद एक फिजियोथेरेपिस्ट से न मिला जाये, तो यह लंबे समय तक चलने, बैठने और सामान्य गतिविधियों को करने में परेशानी की वजह बन सकती है। इसलिए इस दौरान एक फिजियोथेरेपिस्ट से मिलना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि फिजियोथेरेपिस्ट से मिलने के बाद आपको शरीर की तेजी से रिकवरी में मदद मिलती है और घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने में भी मदद मिलती है। डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं, कि फिजियोथेरेपिस्ट मरीज को केवल एक्सरसाइज ही नहीं करवाते हैं, बल्कि ये मरीज के आत्मविश्वास, स्वतंत्रता और जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाने में मदद करते हैं। अगर आपकी भी हाल ही में किसी भी तरह की घुटनों की सर्जरी हुई है, तो इस दौरान आप एक फिजियोथेरेपिस्ट की मदद जरूर लें। अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है और अगर आपको भी घुटनों से जुड़ी किसी भी तरह की कोई समस्या है, और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही ऑर्थो डर्मा क्लिनिक में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1. फिजियोथेरेपिस्ट के पास कब जाना चाहिए?
बता दें कि अगर आपकी मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में अकड़न और हड्डियों में अक्सर दर्द बना रहता है, या फिर इनमें से कट-कट की काफी ज्यादा आवाज आती है, तो इस दौरान आपको फिजियोथेरेपिस्ट से मिलने की बहुत जरूरत होती है। आमतौर पर इस दौरान मांसपेशियों और हड्डियों में से आने वाली इस तरह की आवाजें ज्यादातर चोट लगने से, अकड़न की समस्या होने से, या फिर खराब मुद्रा जैसे कारणों से हो सकती है। दरअसल इस तरह की स्थिति में एक फिजियोथेरेपिस्ट ही आपके दर्द और कट-कट की आवाज का सही पता लगाने में आपकी मदद कर सकते हैं।
प्रश्न 2. फिजियोथेरेपी क्या है?
फिजियोथेरेपी एक मेडिकल प्रक्रिया है। आपको बता दें कि फिजियोथेरेपी के माध्यम से शरीर की कार्यक्षमता को सुधारने में काफी ज्यादा मदद मिलती है। दरअसल फिजियोथेरेपी उन लोगों के लिए काफी ज्यादा उपयोगी होती है, जो आमतौर पर किसी चोट, बीमारी, विकलांगता या फिर सर्जरी के बाद किसी शारीरिक दुर्बलता या फिर किसी जकड़न की समस्या का सामना कर रहे होते हैं।
प्रश्न 3. घुटनों में दर्द क्यों होता है
आपको बता दें कि घुटनों में दर्द कई तरह के कारणों से हो सकता है, जैसे कि बढ़ती उम्र, गठिया (आर्थराइटिस) होना, काफी ज्यादा वजन बढ़ना, चोट लगना, असंतुलित आहार लेना, विटामिन D या फिर कैल्शियम की कमी होना, काफी ज्यादा चलना या फिर चढ़ाई और उतराई करना आदि। इसके आलावा लोगों का गलत मुद्रा में बैठना और इसके साथ ही किसी प्रकार की चोट लगने की वजह से भी घुटनों में दर्द की समस्या हो सकती है।