क्या सेप्टिक अर्थराइटिस को ठीक किया जा सकता है? जानिए डॉक्टर की राय 

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दरअसल सेप्टिक अर्थराइटिस को आमतौर पर संक्रामक गठिया या फिर जोड़ों का संक्रमण भी कहा जाता है। बता दें की यह समस्या बैक्टीरिया, वायरस या फिर फंगस की वजह से हो सकती है। सरल भाषा में डॉक्टर इसको बताते हैं, कि जब शरीर के किसी अन्य हिस्से से जीवाणु या फिर कीटाणु रक्त के माधयम से जोड़ों में घुस जाते हैं, तो तब वहां यह संक्रमण फैल जाता है। आमतौर पर इस तरह के संक्रमण की वजह से व्यक्ति के जोड़ों में तेज दर्द, सूजन और हिलने-डुलने में काफी ज्यादा परेशानी महसूस होने लग जाती है। दरअसल आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं, कि सेप्टिक आर्थराइटिस को हल्की समस्या मानना बिल्कुल सही नहीं है। बता दें कि इस तरह की समस्या होने पर व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के आम कामकाज करना भी काफी ज्यादा कठिन हो जाता है। आमतौर पर इस तरह की स्थिति में यह सवाल उठना स्वाभाविक है, कि क्या सेप्टिक आर्थराइटिस का इलाज किया जाना संभव है? तो आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में डॉक्टर से विस्तार से जानकारी प्राप्त करते हैं। 

क्या सेप्टिक अर्थराइटिस का इलाज किया जा सकता है? 

दरअसल यह बात सच है, कि सेप्टिक अर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है। सेप्टिक अर्थराइटिस एक गंभीर बीमारी है, यह जानते हुए भी डॉक्टरों का कहना है, कि सेप्टिक अर्थराइटिस समस्या का इलाज किया जाना संभव है। हालांकि इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, कि इसका सही समय पर और उपयुक्त इलाज शुरू करना। आमतौर पर इस तरह की स्थिति में मरीज को एंटीबायोटिक दवा को दिया जाता है और साथ ही कभी-कभी व्यक्ति के जोड़ों में जमे तरल पदार्थ को निकालने (जॉइंट ड्रेनेज) की प्रक्रिया को किया जाता है। बता दें कि  इसका मतलब है, कि इस प्रक्रिया में ख़ास मेडिकल प्रोसीजर की मदद से सिरिंज या फिर सुई के द्वारा जोड़ों में से फ्लूइड बाहर निकाला जाता है। आमतौर पर इसके लिए निडिल या फिर सिरिंज का इस्तेमाल किया जाता है। असल में डॉक्टरों का इस बारे में आगे कहना है, कि सेप्टिक आर्थराइटिस की समस्या पूरी तरीके से ठीक हो पाएगी या फिर नहीं, दरअसल यह कई तरह के कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि संक्रमण की गंभीरता कितनी ज्यादा है और साथ ही किस वायरस और बैक्टीरिया के कारण सेप्टिक अर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी हुई है। 

कब सेप्टिक अर्थराइटिस का इलाज मुश्किल होता है?

1. संक्रमण की गंभीरता : 

आमतौर पर अगर मरीज अपनी इस समस्या को काफी लंबे समय से अनदेखा कर रहा है और जोड़ों में बैक्टीरिया या फिर वायरस गहराई तक फैल गया है, तो इस तरह की स्थिति में सेप्टिक अर्थराइटिस का इलाज करना और भी मुश्किल हो जाता है। बता दें कि इस तरह के मामलों में दवाओं का असर देर से दिखाई दे सकता है और कभी कभी मरीज को सर्जरी या फिर बार-बार जॉइंट ड्रेनेज की आवश्यकता हो सकती है। इसके आलावा यहां तक कि मरीज को कई और जटिलताएं बढ़ने का जोखिम भी बना रहता है।

2. इंफेक्शन के प्रकार : 

बता दें कि कुछ मामलों में बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होने वाले सेप्टिक अर्थराइटिस इस तरीके के होते हैं, कि जिन का इलाज पूरी तरीके से कर पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल हो जाता है। दरअसल इस तरीके के संक्रमण काफी ज्यादा खतरनाक और काफी ज्यादा जटिल होते हैं और साथ के साथ मरीज की हालत में सुधार होने में काफी ज्यादा वक्त लग सकता है। इसके अलावा मरीज के इलाज की प्रक्रिया भी काफी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाती है।

3. कमजोर इम्यूनिटी : 

दरअसल सेप्टिक अर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों के लिए उनकी इम्यूनिटी का मजबूत होना भी काफी ज्यादा मत्वपूर्ण होता है। मरीजों के लिए मजबूत इम्यूनिटी काफी ज्यादा मायने रखती है। आमतौर पर अगर इलाज के दौरान इस समस्या पीड़ित मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर रहती है, तो इस दौरान उनकी रिकवरी काफी ज्यादा धीमी हो जाती है और साथ ही उनके सही होने की प्रकिरिया भी मुश्किल हो जाती है। 

4. समय पर इलाज : 

सेप्टिक अर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों की रिकवरी के लिए इसमें यह सबसे ज्यादा जरूरी है, कि मरीज का इलाज समय पर किया जाये। सेप्टिक अर्थराइटिस समस्या से पीड़ित मरीज अगर लम्बे समय के बाद डॉक्टर से मुलाक़ात करते हैं, तो इसकी वजह से मरीज की हालत और भी ज्यादा खराब हो सकती है और इलाज करना बहुत मुश्किल हो सकता है। बता दें कि इस वजह से ही सेप्टिक अर्थराइटिस से जूझ रहे मरीजों को अपना इलाज करवाने में बिलकुल भी देरी नहीं करनी चाहिए। 

निष्कर्ष : सेप्टिक अर्थराइटिस को संक्रामक गठिया या जोड़ों का संक्रमण भी कहा जाता है, जो एक व्यक्ति को बैक्टीरिया, वायरस या फिर फंगस के कारण हो सकता है। सेप्टिक अर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है। पर फिर भी डॉक्टरों का कहना है, कि सेप्टिक अर्थराइटिस समस्या का इलाज किया जाना संभव है। पर इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, इसका सही समय पर और उपयुक्त इलाज शुरू करना। सेप्टिक आर्थराइटिस की समस्या पूरी तरीके से ठीक हो पाएगी या नहीं, दरअसल यह कई तरह के कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि संक्रमण की गंभीरता कितनी ज्यादा है और साथ ही किस वायरस और बैक्टीरिया के कारण सेप्टिक अर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारी हुई है आदि। इस संक्रमण की वजह से व्यक्ति के जोड़ों में तेज दर्द, सूजन, रोजमर्रा के आम कामकाज करने में मुश्किल और हिलने-डुलने में काफी ज्यादा परेशानी महसूस होने लगती है। इसलिए सेप्टिक आर्थराइटिस को एक हल्की समस्या मानना और नज़रअंदाज करना आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। कुल मिलाकर, आपके लिए समझने की बात ये है, कि सेप्टिक अर्थराइटिस के मरीजों को अपनी सेहत को लेकर बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इस समस्या के दौरान जैसे ही आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको इस तरह की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए और साथ ही अपना इलाज शुरू करवाना चाहिए। इस समस्या दौरान आप इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि आपके इलाज में जितनी देर होगी, रिकवरी उतनी ही मुश्किल होती चली जाएगी। अगर आपको भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है और अगर आपको भी सेप्टिक अर्थराइटिस जैसी कोई समस्या है और आप इस समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं, आप तुरंत इस समस्या का इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप अजा ही द ऑर्थो डर्मा क्लिनिक में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. क्या सेप्टिक आर्थराइटिस पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

आपको बता दें कि सेप्टिक आर्थराइटिस एक इस तरह की समस्या है, जो पूरी तरीके से बिल्कुल भी ठीक नहीं हो सकती है। हालांकि इस समस्या के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। 

प्रश्न 2. सेप्टिक अर्थराइटिस गठिया के क्या-क्या लक्षण होते हैं?

सेप्टिक अर्थराइटिस गठिया होने पर आमतौर पर मरीज को कई तरह के लक्षण दिखाई हैं, जैसे कि बुखार होना, जोड़ों में काफी ज्यादा दर्द होना, सूजन होना, जोड़ पर लालिमा आना आदि। बता दें कि मरीज को सेप्टिक अर्थराइटिस के उपचार के माध्यम से एंटीबायोटिक दवा को दिया जाता है। आमतौर पर बाकि का इलाज मरीज की हालत पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 3. क्या दूध पीने से गठिया बढ़ता है?

वास्तव में अगर विशेषज्ञों की मानें, तो व्यक्ति को गठिया की समस्या होने पर दूध को पीना काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि  दूध में विटामिन-डी और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जो व्यक्ति की हड्डीओं को मजबूत बनाने में काफी ज्यादा मदद करता है और यह सेहत के लिए भी काफी ज्यादा लाभकारी माना जाता है, तो इसलिए दूध पीने से गठिया बिलुकल भी नहीं बढ़ता है।